Thursday 21 February 2019

Column | Satrangi Batein

सतंरगी बातें

वैलेंटाइन  डे के बाद...

मृणाल चटर्जी
अनुवाद- इतिश्री सिंह राठौर 

14 फरवरी यानी वैलेंटाइन  डे को प्रेम दिवस के रूप में मनाने की बात भला कौन नहीं जानता ! कुछ साल पहले ओडिशा के लोगों को ऐसे किसी दिवस के बारे में पता भी नहीं था । अब प्रेम दिवस की लोकप्रियता इतनी है कि शहर-बाजार छोड़िए गांवों में भी जोरों शोरों से वैलेंटाइन डे मनाया जाता है । इसे सार्वजनिक करने के पीछे कमर्शियल रेडियो स्टेशन, सोनार, चॉकलेट और अतर बनाने वाली कंपनियां जिम्मेवार हैं । इन लोगों ने इतना विज्ञापन किया कि बाहर के लोगों को भी पता चल गया कि वैलेंटाइन डे एक बड़ा पर्व है । इसीदन प्रेमी जोड़े कहीं घूमने जाते हैं ।  एक-दुसरे को फूल  तथा चाकलेट देकर प्यार का इजहार करते हैं ।
सभी एक्शन   में रिएक्शन है । इफेक्ट्स का साइडइफेक्ट्स है । जो वैलेंटाइन डे मनाने हैं वह फिलहाल उसका साइड इफेक्ट्स भोग रहे हैं । आप सोच रहे होंगे मुझे कैसे पता चला ?  मेरा दोस्त नवघन उसी साइड इफेक्ट्स का शिकार है । उसने खूब वैलेंटाइन डे मानाया है । एक नहीं दो नहीं बल्कि एक दिन में उसने छह लड़कियों के साथ वैलेंटाइन डे मनाया है । आप सोच रहे होंगे एक साथ छह-छह लड़कियों के साथ वैलेंटाइन डे, कैसे संभव है ? मैंने फभी उससे वही सवाल किया उसने कहा,  देख ! वैलेंटाइन डे मनाने की प्रक्रिया में कहीं नहीं लिखा कि प्रेमी-प्रेमिकाओं की संख्या कितनी होनी चाहिए...लेकिन वैलेंटाइन डे मना कर बड़ी परेशानी में हूं आजकल ।
क्यों किया हुआ...?अरे सुबह एक नम्बर वैलेंटाइन को लेकर पार्क गया तो एंटी वैलेंटाइन डे स्क्वार्ड के सदस्य लाठी लेकर पहुंच गए । बोला, भारतीय संस्कृति में यह इलू इलू का रिवाज नहीं । यह सब नहीं चलेगा । मेरा मूड खराब हो गया । मैंने उनसे कहा,  श्रीकृष्ण सोलह सौ गोपियों के साथ रास लीला करते थे, उस समय तो आप लोगों ने कुछ नहीं कहा ! मैं किसीके साथ पार्क में चला आया तो आपकी संस्कृति नष्ट हो गई ...?उन्होंने जवाब दिया,  श्रीकृष्ण के बारे में कुछ कहा तो मार के नथुना फूला देंगे । वह भगवान हैं । वह जो भी करें लीला है और तू आम आदमी..तेरी औकात क्या है...? यहां से जल्दी भाग...वरना पीट जाएगा । मैं उनके साथ क्या झगड़ा करता, मेरी वैलेंटाइन बोली, चलों चलते हैं यहां से...झगड़ा हुआ तो प्रेस वाले आ जाएंगे और टीवी में दिख गए तो शामत आ जाएगी ।
उसके बाद दुसरी वैलेंटाइन को एक मस्त कॉफी शॉप लेकर गया । उसके बाद क्या हुआ..
क्या होगा..एक कॉफी शॉप में दो कप काफी और दो समसाओं की क्या कीमत है पता है तूझे...? मैंने कहा नहीं । उतने पैसों में मेरे एक सप्ताह की सब्जी आ जाती यार । समोसे का  भी कुछ खास स्वाद नहीं था । उसे खाकर मेरी वैलेंटाइन ने कहा कुछ अजीब लग रहा है । मुझे घर छोड़ आओ ।
उसे उसके घर छोड़ कर तीसरे वैलेंटाइन के पास गया । उसके लिए लाल गुलाब ले गया ।  एक दिन पहले ही मुझसे उसने कहा था । एक गुलाब की कीमत पता है तुझे...? मैंने कहा नहीं
उतने पैसों में एक महीने तक मुर्गा खा सकता था । उसके बारे में सोचते ही मेरा मूड खराब हो जाता है । लंच में चौथी वैलेंटाइन को वेजिटेरियन खाना खिलाया । वह गुस्सा होकर चली गई । अब बात भी नहीं करती । शाम को पांचवीं वैलेंटाइन को लेकर सिनेमा देखना का प्रोग्राम बनाया था । सिनेमा हाल में इतनी भीड़ थी कि टिकट नहीं मिली । उसने कहा मुझे पता था ऐसा ही होगा इसीलिए तुमने एडवांस बुकिंग नहीं कराई । यह कहकर वह किसी दुसरे के साथ फिल्म देखने चली गई । रात को मेरी सबसे पुरानी वैलेंटाइन यानी मेरी पत्नी रंगवति को लेकर डिनर करने गया । उसे एक सोने की अंगूठी भेंट की । उसमें एक महीने का वेतन चला गया । अब घर कैसे चलाऊं बड़ी चिंता में हूं ।

21.2.19

No comments:

Post a Comment