Wednesday 30 May 2018

Column | Jagate Thiba Jededina

Samaja Saptahika, 2-8 June 2018

Days in June


Days in June

June 1: Milk Day
June 5: World Environment Day
June 8: World Oceans Day
June 12: World Day against Child labour
June 15: World Elder Abuse Awareness Day
June 21: International Yoga Day
June 21: World Music Day
June 23: International Widow’s Day
June 26: International Day against Drug Abuse and Illicit Trafficking

Jagate Thiba Jetedina: Radio Series

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Monday 28 May 2018

Column | Satrangi Batei

सतरंगी बातें

गाली-गलौज 

मृणाल चटर्जीअनुवाद- इतिश्री सिंह राठौर


हम रोज किसी किसीको गाली देते हैं बस में ड्राइवर को, आफिस में बस को, आसपास में पड़ोसियों को नेताओं को, पुलिस को, बांग्लादेश से मैच हारने वाले भारतीय क्रिकेटरको तथा हिरण का शिकार कर जेल जाने वाले फिल्म स्टारर्सको सड़क पर कचरा फेंकने वाले रामबाबूको, कचरे की सफाई करने वाले झाडूदारको, उसे देखने वाले सेनेटरी इंसपेक्टर नरेंद्रबाबूको, वार्ड के बारे में सोचने वाले वार्ड मेंबर काबूली बाबू तथा कईं लोगोंको तहसील आफिस में रिश्वत लेने वाले श्यामबाबूको, लोगों को ठगने वाले दुकानदार भीम साहू को , बम से रेल की पटरी उड़ाकर विप्लव करने वाले को भी गाली देते हैं हम गाली देने के लिए क्या लोगों की कमी है इस देश में ? कि वैसी परिस्थितियों की कमी है ?
    वैसे देखा जाए तो विश्व के अन्य देशों में भी वैसे लोगों की कमी नहीं अथवा परिस्थितियों की भी कमी नहीं है इसीलिए अखबार पढ़ते-पढ़ते, रेडियो सुनते-सुनते, टीवी देखते-देखते उन्हें हम बहुत गाली देते हैं इराक पर हमला करने वाले बुश बाबूको भी हम गाली देते हैं परमाणु बम बनाकर रोज पूरी दुनियाको  धमकाने वाले उत्तर कोरिया को भी हम गाली देते हैं अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए बांग्लादेश को भी गाली देते हैं  
    रोज गाली देना हमारी आदत बन गई है जिस दिन गाली नहीं देते, उसदिन खाली-खाली महसूस होता है हमारे इलाके में एक औरत है सभी उसे राधिदीदी कह कर बुलाते हैं राधिदीदी रोज किसी किसीको गाली देती है किसी दिन अपनी पुत्र-वधूको किसी दिन बेटे को और किसी दिन पड़ोसियों को जिस दिन कोई मिले, उसदिन वह पांच साल पहले स्वर्गवासी हो गए पति को गाली देने में लग जाती हैं कुत्ते-कमीने यहां मरने के लिए मुझे अकेला छोड़ गया मुझे ! अपने साथ क्यों नहीं ले गया ? अब तो तुम स्वर्ग में मजे में हो-मैं कैसी हूं तुम्हें क्या फर्क पड़ता है ? मुझे राधिदीदी के स्वर्गीय पति पर बड़ी दया आती है वह बेचारा जीते जी कितनी गालियां सुनता होगा- अब मरने के बाद भी राहत नहीं  
   गाली देना एक कला है पुराने जमाने में कईं महिलाएं गाली देने का अभ्यास करती थी हमारे पास के गांव में एेसी दो महिलाएं थीं उन्हें गाली विशेषज्ञ माना जाता है वह जब भी एक-दूसरे को गालियां देतीं उनकी गालियां सुनने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठी हो जाती जैसे लोग सांड और मुर्गों की लडाई देखने के लिए इकट्ठे होते हैं बड़ी ही अच्छी तरह से वह एक-दूसरे को गालियां देतीं थी क्या उपमा...क्या व्यंग्य वह गाली सुनने से पेट भर जाता क्या एंटरमेंट होता था  
    आजकल मध्यम वर्ग के लोग गाली-गलौज करने में थोड़ा भी पीछे नहीं हटते मैं भी उसी में शामिल हूं हम मुंह पर कम गाली देते हैं और पीछे ओर मन ही मन ज्यादा गाली देते हैं डाक्टर कहते हैं, मन ही मन गाली देने पर टेंशन बढ़ता है और यह बातें तो सभी जानते हैं कि आजकल टेँशन हार्ट  अटैक और डायबिटीज का मुख्य कारण है इसीलिए देश में डायबिटीज और हार्ट  अटैक से मरने वालों की संख्या भी बढ़ रही है मनभर कर गाली देने से सारा टेँशन रिलीज बस मन में टेंशन रहने से यह समस्याएं हो रही हैं  
   गाली के इन फायदों के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है इसीलिए मेरा एक प्रस्ताव है कि साल में एक बार गाली दिवस मनाया जाए साल भर इसे उसे गाली देकर गाली दिवस के दिन सभीको गाली दी जाए उसदिन गाली देने की आजादी हो एेसा नियम हो कि उस दिन कोई किसीको कितनी भी गालियां दें उसके खिलाफ मानहानि का मुकद्दमा हो गाली देने की प्रतियोगिता हो जो जिनती बुरी तरह से गाली देगा उसे पुरस्कार दिया जाएगा पुरस्कार ग्रहण करते समय, पुरस्कृत प्रतिभा पुरस्कारप्रदाता को बहुत गालियां  दें हर साहित्य सभाओं में गाली सम्मेलन हो उसमें किस साहित्यकर किसको कितनी गालियां दी हैं उस मामले में आलोचक और शोधकर्ता दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे नेता भी एक-दूसरे को खुलेआम गाली दें। दूरदर्शन में उसे प्रसारित किया जाए लोग टीवी देखते-देखते नेताओं को जोर-जोर से गालियां दें अब भी दे रहें हैं पीछे भी गालियां दे रहे हैं गाली दिवस के दिन माइक लगाकर गाली देने की आजादी होगी मेरा मानना हे कि एेसा होने पर भारत में मधुमेह तथा दिल के मरीज कम हो जाएंगे अगर हों तो मुझे जी भर के गालियां दीजिएगा।


 (मृणाल चटर्जी ओडिशा के जानेमाने लेखक और प्रसिद्ध व्यंग्यकार हैं मृणाल ने अपने स्तम्भ 'जगते थिबा जेते दिन' ( संसार में रहने तक) से ओड़िया व्यंग्य लेखन क्षेत्र को एक मोड़ दिया   इनका उपन्यास 'यमराज नम्बर 5003' का अंग्रेजी अनुवाद हाल ही में प्रकाशित हुआ है इसका प्रकाशन पहले ओडिया फिर असमिया में हुआ उपन्यास की लोकप्रियता को देखते हुए अंग्रेजी में इसका अनुवाद हुआ है  

Posted on www.hindikunj.com on 28.5.18
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