Sunday 5 August 2018

Column | Satrangi Batein

सतरंगी बातें

फोन पर बातचीत

मृणाल चटर्जी

अनुवाद- इतिश्री सिंह राठौर


कौन कितना महत्वपूर्ण है यह जानने का आसान तरीका है टेलीफोन सीधी बार यह है कि जिसके पास जितना फोन आएगा, वह उतना ही महत्वपूर्ण है
     लेकिन टेलीफोन शस्ता और आसानी से उपलब्ध होने के बाद खास कर मोबाइल फोन के आने के बाद यह हिसाब बदल गया है अब कालेज में पढ़ने वाले बच्चों के पास अधिक फोन रहे हैं वह सबसे अधिक समय फोन पर बातचीत कर रहे हैं जब देखो कान पर मोबाइल लगाकर घूम रहे हैं आजकल तो हैंडस् फ्री किट भी बजार में उपलब्ध है जिससे फोन को और कान में लगाना नहीं पड़ेगा मैं कभी-कभी सोचता हूं कि फोन शस्ता हने से पहले लोग इतनी बातें कैसे करते थे
Cartoon by Surendra

   उसदिन नवघन घर में बैठा था, एक फोन आया उसकी पत्नी रंगवति ने कहा मैं उठा रही हूं फोन उतना कहकर वह रिसिवर उठाकर कुछ बातचीत करने लगी लगभग आधा घंटा बातचीत होती रही उसके बाद उन्होंने फोन रख दिया उनके बीच आधा घंटा बातचीत हुई नवघन ने पूछा, किसका फोन है ? रंगवति ने कहा, कोई नहीं है ! रांग नम्बर है  
-रांगनम्बर के साथ अगर आधा घंटा बात कर रही हो, तो राइट नम्बर के साथ कितनी बातचीत करोगे ?
इस बात पर रंगवति गुस्सा हो गई उसने कहा, मैंने तो सिर्फ आधा घंटा ही बात की , आप तो रातभर बात करते हो जवाब में नवघन ने कुछ कहा, फिर उसका उत्तर देकर रंगवति ने कुछ कहा उसदिन मुझे पता चला कि नवघन जितना कमाता है उसका आधा पैसा फोन बिल भरते-भरते खर्च हो रहे हैं  
   कोई अपने बाप के पैसों से फोन में जितने गप्पे मारे उससे मेरे स्वर्गवासी पिता का कुछ नहीं जाता लेकिन उनमें से कुछ लोग फोन पर एेसे बात करते हैं जैसे यह दुनिया उनके बाप का हो वह भुल जाते हैं कि उनके चारों तरफ और भी लोग हैं और उन्हें बातें सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं  
     कुछ लोग फोन पर इतना चिल्ला चिल्ला कर बात करते हैं कि वह पूरे संसार को अपनी बात सुनाना चाहते हों किसीने एक दिन पूछा कि आप इतनी जोर से चिल्ला चिल्ला कर क्यों बात कर रहे हैं ? उसने उत्तर दिया, आप नहीं जानते क्या कि यह कंपनी दूर तक आवाज पहुंचाने के लिए ही पैसे लेती है !
और कुछ लोग हैं जो अपनी बात दुसरों को सुनाना चाहते हैं उनके लिए फोन एकल अस्त्र है उदाहरण के तौर पर भुवनेश्वर एयरपोर्ट में एक आदमी फोन पर जोर जोर से बातें करते हुए कह रहा था कि हां, हां....वह नवीन से कह देगा चिंता की बात नहीं है काम हो जाएगा बिलकुल डील फाइनल नवीन मतलब ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पट्टनायक इतनी बातें सुनने के बाद आपके दिमाग यह खयाल जरुर आएगा कि उस आदमी के हाथ बड़े लम्बे हैं मैं भी यही सोचा बाद में मैंने देखा कि उसके मोबाइल में चार्ज ही नहीं है इसमें फोन पर बातचीत सम्भव नहीं लेकिन वह फोन पर बात करने का नाटक कर रहे हैं बीच-बीच में इस बात का भी खयाल रख रहे हैं कि उनकी बात कोई सुन रहा है या नहीं  
  कुछ लोग सिनेमा हाल में बैठ कर फिल्म की रनिंग कमेंटरी करने लगते हैं इसीलिए ही मैंने सिनेमा हाल में बैठकर सिनेमा देखना छोड़ दिया है अपने पाकिट से पैसे खर्च कर मैं दुसरों की फालतू बातें नहीं सुन सकता  
   लेकिन कहां जाऊं मैं ? जहां भी जाऊं फोनवालों का उत्पात सिनेमा हाल में शांति नहीं, पार्क में शांति नहीं, किसी पब्लिक प्लेस में भी शांति नहीं हर जगह इनका उत्पात इनके चंगुल  से ही बचने के लिए मैं हिमालय के शिखर पर बद्रीनाथ धाम चला गया था है ईश्वर ! वहां भी मोबाइल पहुंच गया है बद्रीनाथ मंदिर के भीतर हाथ जोड़ कर भगवान के सामने खड़ा हूं, किसीके मोबाइल की घंटी बजी : इसमें तेरा घाटा...मेरा कुछ नहीं जाता...
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This column is published regularly in www.hindikunj.com and Raipur based monthly Cartoon magazine Cartoon Watch.
5.8.18


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