सतरंगी बातें
नवघन की पांच बातें
डा. मृणाल चटर्जीओड़िया से अनुवाद- इतिश्री सिंह राठौर
भिखारी : साहब कुछ खाया नहीं हूं सुबह से...खाने के लिए कुछ पैसे दीजिए ।
नवघन- तेरे पास सौ के छुट्टे हैं ?
भिखारी- मैं भिखारी हूं, सौ रूपये के छुट्टे कहां से लाऊंगा ?
अगले दिन
भिखारी : कुछ नहीं खाया सुबह से , कुछ पैसे दीजिए...
नवघन तेरे पास सौ के छुट्टे हैं ?
भिखारी- हां हैं...
नवघन - पहले उसे खर्च कर । बाद में भीख मांगना । शर्म नहीं तुझे...पास में सौ रुपये हैं और भीख मांग रहा है ।
2
नवघन किसी आफिस में काम करता है । रामबाबू उसके बॉस हैं । दस सालों तक काम करने के बावजूद नवघन का प्रमोशन नहीं हुआ और न ही उसका वेतन बढ़ा । इकदिन नवघन रामबाबू के पास गया ।
नवघन : सर ! मैं दस सालों से मन लगाकर काम कर रहा हूं, फिर भी न वेतन बढ़ रहा है और न ही प्रमोशन हो रहा है...आप मेरा वेतन बढाइए ।
रामबाबू- वेतन बढाऊं...लेकिन आपने बिलकुल भी काम नहीं किया ।
नवघन- नहीं सर । पूरी निष्ठा के साथ मैं काम कर रहा हूं ।
रामबाबू- अच्छा ! साल में कितने दिन होते हैं ?
-365 । लीप इयर हो तो 366 ।
-दिन में कितने घंटे ?
-24घंटे ।
-आप कितने घंटे काम करते हैं ?
-आठ घंटे ।
-हां, फिर हिसाब करके बताइए आप साल में कितने दिन काम करते हैं ?
नवघन ने हिसाब कर के कहा- सर 122 दिन ।
-हां...आप रविवार आफिस आते हैं ?
-नहीं ।
-और शनिवार ?
-नहीं ।
-तब यह हुआ 104 दिन ।
-122 से 104 घटा दें तो कितना बचता है ?
-18 दिन ।
-आपको साल में आठ दिन का सीएल भी मिलता है । और कितने दिन बचे ?
-दस दिन ।
-आप 15 अगस्त, 26 जनवरी और 2 अक्टूबर समेत अन्य राष्ट्रीय अवकाशों पर आफिस आते हैं क्या ?
-नहीं ।
-एेसे साल में कितनी छुट्टियां रहती है...?
-दस ।
-तो फिर आपने काम किया कब ? और किस लिए वेतन बढ़ाने की बात कर रहे हैं ? मुझे तो लग रहा है आपका वेतन काटना पड़ेगा...उसदिन से नवघन ने न ही वेतन बढ़ाने की बात कही और न ही प्रमोशन की...
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3
नवघन ने डाक्टर से कहा, डाक्टर साहब ! लोग आजकल सबकुछ दान कर रहे हैं । कोई रक्तदान कर रहा है तो कोई अंग दान । मैं अपना मस्तिष्क दान करना चाहता हूं ।
डाक्टर- दान करने की बात तो ठीक है...लेकिन दान करने के लिए आपके पास मस्तिष्क है कहां ...
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4
नवघन ऑटो में अपने घर जा रहा था । घर के पास पहुंच कर उसने ऑटोवाले से पूछा, कितने रुपये हुए ?
ऑटोवाले ने कहा-100रुपये ।
नवघन ने उसे पचास रुपये दिए ।
ऑटोवाले ने कहा- सर सौ रुपये हुए, आप पचास रुपये क्यों दे रहे हैं ?
नवघन- हां, पचास रुपये ही बनते हैं । तुम भी तो बैठकर आए न मेरे साथ ! जितना किराया हुआ उसका आधा तो मैंने दिया और आधा तू देगा । तेरा किराया मैं क्यों दूं ?
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5
रामबाबू- अच्छा, नवघन बताओ तो, सरकार ने लड़कों के लिए वोट देने की सर्वनिम्न आयु 18 और शादी के लिए 21साल रखी है , एेसा क्यों ?
नवघन- सरकार को भी मालूम है कि देश चलाना आसान है लेकिन पत्नी को सम्भालना बहुत ही मुश्किल ।
( डा.मृणाल चटर्जी ओडिशा के जानेमाने लेखक और प्रसिद्ध व्यंगकार हैं । इनका उपन्यास 'यमराज नम्बर 5003' का अंग्रेजी अनुवाद शीघ्र ही प्रकाशित होने वाला है । )
http://www.hindikunj.com/2018/02/neta-abhineta.html?m=1
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