Wednesday, 28 November 2018

Column | Satrangi Batein

सतरंगी बातें
ठग्स आफ हिंदोस्तान


मृणाल चटर्जी
अनुवाद- इतिश्री सिंह राठौर

हाल ही में एक फिल्म रिलिज हुई है 'ठग्स आफ हिंदोस्तान' इसमें हिंदी सिनेमा के किवंदंती अभिनेता अमिताभ बच्चन और मिस्टर परफेक्शनिस् आमिर खान है कैटरिना और फातिमा  सना  शेख  भी अहम भूमिकाओं में हैं इस फिल्म में दो बड़े-बड़े जहाज हैॆं यह कहा जा रहा है किसी भी हिंदी फिल्म में इतने बड़े जहाज का फिल्मांकन कभी नहीं हुआ फिल्म का निर्द्देशन विजय कृष्ण आचार्य ने किया है वह वर्तमान समय के नामचीन निर्द्देशकों में से एक हैं धूम-3 का भी निर्द्देशन उन्होंने किया था यह फिल्म बहुत अच्छी कमाई करने की उम्मीद थी लेकिन सिनेमाप्रेमियों को इस फिल्म ने निराश किया है ज्यादातर दर्शक यही कहते नजर रहे हैं कि  फिल्म 'ठग्स आफ हिंदोस्तान' ने हमें ठग दिया इसकी कहानी बहुत ही कमजोर है स्क्रिनप्ले भी कुछ खास नहीं एक भी गाना कानों को नहीं भाता भव्य सेट के अलावा फिल्म में देखने लायक कुछ भी नहीं है  
     अच्छा हम फिल्म की समीक्षा नहीं करना चाहते उस फिल्म में क्या है क्या नहीं आप खुद ही जाकर देखिए अच्छा-बुरा खुद ही विचार कीजिए किसीको अच्छा-बुरा कहने का जिम्मा हमने नहीं उठाया है !

हम यहां नवघन के बारे में बात करते हैं नवघन फिल्म देखने के बाद दुखी होकर बैठा था उसे दुसरों ने पूछा कि क्या हुआ नवघन...क्यों उदास हो ? नवघन ने जवाब दिया- 'ठग्स आफ हिंदोस्तान' ने हमें ठग दिया क्या सोचकर गया था और क्या हो गया  
-क्या सोच कर गए थे...?

-अरे...मैंने सोचा था कि इस फिल्म में ठगों के बारे में बताया जाएगा विजय माल्या, नीरव मोदी अथवा उनसे पहले भी जो ठगी के लिए बदनाम हुए थे उन पर फिल्म बनाई जाएगी एक समय था नटवर लाल ने ठगी में बड़ा नाम किया था उसे लेकर एक सिनेमा भी बनाया गया है लेकिन यहां तो बात कुछ अलग ही है  

वहां मौजूद एक शख्स ने कहा- यहां ठग मतलब लुटेरों की बात हो रही है कुछ लोग मिलकर अंग्रेजों को लूटते थे अंग्रेजों ने बहुत प्रयासों के बाद उनका निपात किया था इसीलिए ठगों में अच्छे-बुरे दो तरह के ठग हैं  
-हां अब मुझे लग रहा है कि फिल्म देखने से पहले मुझे इतिहास पढ़ना होगा उसके बारे में जानना होगा

-नहीं इतनी तकलीफ उठाने की जरूरत नहीं है सिनेमा को कहानी की तरह समझो और उसे देखकर अपना मनोरंजन करो वो ही सबसे अच्छा तरीका है  

-हां वह भी सही है

-नवघन कुछ समय एकांत में कुछ सोचने लगा चाय की चुस्की लेते हुए उसने कहा, हां यही सबसे अच्छा रास्ता है अगर एेसा हो तो विवाद ही हो जैसे 'पद्मावति' को लेकर कितना विवाद हुआ था 'पद्मावति' को 'पद्मावत' भी कर दिया लेकिन विवाद थमा ही नहीं उसके बाद क्या हुआ पता नहीं सभी ने चुप्पी साध ली और अब देखिए इटली में अलाउद्दीन खिलजी और पद्मावति की शादी भी हो गई दोनों ने मुम्बई के जुहू बीच में घर भी खरीदा है

नवघन ने रामबाबू से पूछा- अच्छा ! आपने यह फिल्म देखी है ?
रामबाबू ने कहा- देख भाई ! परदे के बाहर मैं रोज इतने ठगों को देख रहा हूं कि और पैसे खर्च कर ठगों को देखने का  मन नहीं है और ही कोई शौक है भारत में जहां देखों वहां ठगों की भरमार है  
नवघन ने कहा -ठीक कहा आपने अगर बात इतनी ही सिंपल है तो इस फिल्म का इतना लंबा नाम रखने की क्या आवश्यकता थी 'ठग्स आफ हिंदोस्तान' के बदले सीधा 'नेता' ही रख दिया होता बात तो एक ही है  
नवघन ने जो सोच कर यह बातें कही वही बातें शायद सिनेमा का पोस्टर लगाने वाले आदमी के दिमाग में चल रही थी इसीलिए उसने चुन-चुन कर नेताओं के घर के सामने 'ठग्स आफ हिंदोस्तान' के पोस्टर लगा दिए हैं
***
(मृणाल चटर्जी ओडिशा के जानेमाने लेखक और प्रसिद्ध व्यंग्यकार हैं मृणाल ने अपने स्तम्भ 'जगते थिबा जेते दिन' ( संसार में रहने तक) से ओड़िया व्यंग्य लेखन क्षेत्र को एक मोड़ दिया   इनका उपन्यास 'यमराज नम्बर 5003' का अंग्रेजी अनुवाद हाल ही में प्रकाशित हुआ है इसका प्रकाशन पहले ओडिया फिर असमिया में हुआ उपन्यास की लोकप्रियता को देखते हुए अंग्रेजी में इसका अनुवाद हुआ है  

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