Monday, 1 February 2016

My Stories translated in Hindi


सड़क हादसे के बाद...

डा. मृणाल चटर्जी

सिड़ी
मेरे लिए सिड़ी चढ़ना बहुत ही आसान था
लेकिन अब पता चल रहा है कि सिड़ी चढ़ना कितना मुश्किल होता है
सब समय का खेल है
सिड़ी जहां थी वही है
जैसी थी वैसी ही है
बस बदल गया है मेरा वक्त...

डेटाल
कल तक डेटाल की खूशबू बिकलुक पसंद थी. आज भी पसंद नहीं . कल तक डेटाल के बिना मेरी जिंदगी चलती थी लेकिन आज वह मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गया है...डाक्टर ने कहा है कि इनफेक्सन से दूरी बनाए रखने के लिए डेटाल जरुरी है.

जूता
मार्णिंग वाक के लिए एक जूता खरीदा था बड़े ही शौक से. 
हादसे के बाद अब में विस्तर पर हूं लेकिन जूता मेरा इंतेजार कर रहा है मार्णिंग वाक पर निकलने के लिए. 

फूल
गमले में फूल का पौधा लगाकार हमारे माली ने उसे आंगन पर रख दिया था. जिस दिन उसने रखा उसी दिन शाम को सड़क हादसे का मैं शिकार हुआ. चार-पांच दिन के बाद मैंने देखा कि पौधा मुरझा चुका गया है . 
माली से पूछने पर उसने कहा, सर पानी तो रोज देता हूॆ
-
तो पौधा कैसे मूरझा गया?
-
आप पांच दिन घर नहीं निकले शायद इसीलिए आपका इंतेजार करते-करते पौधा मूरझा गया.
औकात
सरकारी आस्पताल के ड्रेसिंग रूम पहुंचते ही 
अपनी औकात का पता चलता है.
स्काच से सना खून और देशी शराब मिले खून का रंग एक ही होता है
तभी पता चलता है

हादसा
याद है केवल कुछ अजीब आवाजें
याद है बस सड़क पर पड़े लाल रंग के छींटे
बस एक ही पल बदल गई मेरी जिंदगी
जैसे सीमट गई हो  दस बट्टा आठ के एक कमरे तक
कमरे के बाहर से पहाड़ जैसे आवाज दे रहा हो आने के
जंगल बुला रहा हो
लेकिन मैं चुपचाप बिस्तकर पर
बाहर की चांदनी रातें उदास कट रही हैं.

Translated from original Odia by Itishree Singh . January 2016

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